ये धोखा आप भी खा सकते हैं, बचिएगा || आचार्य प्रशांत (2024)

2024-09-02 1

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वीडियो जानकारी: 27.7.24 , संत सरिता , ग्रेटर नॉएडा

प्रसंग:
~ आतम ज्ञान बिना नर भटके, कोई मथुरा कोई काशी, कबीर साहब इसके माध्यम से क्या समझाना चाह रहे हैं?
~ हर आदमी आज किस रोग से ग्रसित है?
~ आम आदमी किसी का क्यों नहीं हो सकता?
~ रावण के दस सर किस चीज़ का प्रतीक हैं?
~ हम लोगों से बार-बार धोखा क्यों खाते हैं?

पानी में मीन पियासी,
मोहे सुन सुन आवत हासी।।

आतम ज्ञान बिना नर भटके,
कोई मथुरा कोई काशी।।,

जैसे मृगा नाभि कस्तूरी,
बन बन फिरत उदासी।।

जल बिछ कमल,
कमल बिछ कलियाँ,
तापर भँवर निवासी।।

सो मन बस त्रेलोक भयो है,
यति सती सन्यासी।।

जाको ध्यान धरे विधि हरिहर,
मुनि जन सहस अठासी।।

सो तेरे घट माहि बिराजे,
परम पुरुष अविनाशी।।

हैं हाज़िर तोहे दूर दिखावे,
दूर की बात निरासी।

कहैं कबीर सुनों भाई साधो,
गुरु बिन भरम न जासी।।

पानी में मीन पियासी,
मोहे सुन सुन आवत हासी।।
~ कबीर साहब

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना।
~ निदा फ़ाज़ली

संगीत: मिलिंद दाते
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